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Wednesday, January 17, 2024

सती प्रथा

                    सती प्रथा   

BY-Mahesh Kumar Verma

सती प्रथा: एक आश्र्चर्यजनक अन्धविश्वास या दरिंदगी?

हमारे देश के वेदपुराणों और धार्मिक ग्रंथों में प्रमुख महिला उद्देश्यों में से एक का उल्लेख है - पतिव्रता, पतिपरायणता और संयम. इन मूल्यों के लिए, भारतीय समाज में बहुत श्रद्धा और सम्मान है। हमारे देश ने हमेशा से स्त्रियों को देवी, लक्ष्मी और सरस्वती की तरह पूजा और सम्मान दिया है। फिर भी, क्या आपको पता है कि कुछ समय पहले एक ऐसी प्राथा भी थी जिसका उपयोग लड़कियों और स्त्रियों के लिए उचित नहीं था?

सती प्रथा, जिसे गोलू कैसे सतीलता है, मृत्युके ब्याहिन औरतें जिनमें साथ नहीं होती हैं, ने पुराने भारतीय समाज को एकुलस की तरह छोड़ दिया। इस विवाह की प्रथा में, जब पति मर जाता था, तो पत्नी का पिंडदान (पति का जीवन लेने के लिए प्रयास करता है) होता था। यह एक अन्योन्य प्रेम दर्शाने का एक तरीका माना जाता था, जहां पत्नी पति की मृत्यु के साथ अपना जीवन भी बांट देती थी।

इस प्रथा की ऐतिहासिक मूल्यांकन काफी संदिग्धात्मक है। इस प्राचीन प्रथा को श्रीमत्य जोहर शाह काष्मीरी, दयानंद सरस्वती और रवींद्रनाथ टैगोर जैसे धर्मगुरुओं और लोकप्रिय विद्वानों ने दोषी घोषित किया है। वे कहते हैं कि यह बलात्कार में स्त्रियों का पिंडदान था और जिसे परंपरागत इंदिरा पुरी घटनाक्रम के धारावाहिकों में बनाया गया है।

सती प्रथा का खत्म होना हमारे समाज के विकास का एक महत्वपूर्ण संकेत है। इससे पढ़कर हमें विश्वास होना चाहिए कि हमारी महिलाएं उन कठिनाईयों का सामना कर सकती हैं, जो पतियों या पिता के प्रेम की आदान-प्रदान में उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं। सती प्रथा, हालांकि बीसवीं सदी में हताशा ग्रस्त हो गई है, हालांकि फिर भी समाज में स्त्री सशक्तिकरण की आवश्यकता है।

धन्यवाद! 
महेश कुमार वर्मा

Sati Pratha: A Shocking Superstition or Barbarity?

One of the principles that has always been emphasized in our country's scriptures and religious scriptures is the virtues of chastity, devotion, and self-control in women. These values are deeply respected and revered in Indian society. Our nation has always worshiped and honored women as goddesses, whether it be as Devi, Lakshmi, or Saraswati. However, did you know that there was once a tradition in our society that was not suitable for the well-being of girls and women?

Sati Pratha, also known as the Golu case of women being forced into being sati, left the ancient Indian society in a state of astonishment. In this practice of marriage, when a husband died, the wife would perform sati (self-immolation) to accompany her husband in death. It was considered a way to demonstrate mutual love, where the wife willingly sacrificed her life along with her husband's demise.

The historical evaluation of this practice is quite controversial. Esteemed personalities like Shrimati Johar Shah Kashmiri, Dayanand Saraswati, and Rabindranath Tagore have condemned this ancient tradition, calling it violence against women and a creation of the narratives of Indira Puri's series. 

The abolition of Sati Pratha is a significant indication of the progress of our society. Upon reflection, we must believe that our women can face the difficulties that can harm them due to the love of husbands or fathers. Although Sati Pratha has become extinct in the 21st century, there is still a need for women's empowerment in society.

Thank you!
Mahesh Kumar Verma

Sunday, January 14, 2024

Introducing To My website

  Introducing To My Website

By:-Mahesh Kumar Verma

Title: Sharing Social Knowledge: सामाजिक ज्ञान का साझा करना

Introduction:
नमस्ते दोस्तों! आपका स्वागत है मेरे ब्लॉग "Social Affairs" पर। यह ब्लॉग मेरे द्वारा संचालित किया गया है जिसका उद्देश्य है हिंदी और अंग्रेजी में सामाजिक ज्ञान को साझा करना। मैं हूँ महेश कुमार वर्मा और इस प्लेटफॉर्म को संचालित करके मुझे गर्व हो रहा है कि मैं सामाजिक ज्ञान को आपसे साझा कर पा रहा हूँ।

Importance of Sharing Social Knowledge:
हम सभी जानते हैं कि ज्ञान की हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। और जब हम किसी भी जानकारी को साझा करते हैं, तो वह हमारी ज्ञान क्षमता को बढ़ाता है और हमें अपनी सृजनात्मकता को निखारने का मौका देता है। सामाजिक ज्ञान को साझा करने से हमारी सोच विस्तारित होती है, हम दूसरों के साथ बेहतर संवाद करते हैं और साथ ही इससे समाज के विकास के लिए एक प्रभावी योगदान भी होता है।

Creating a Knowledge Sharing Platform:
मेरा मकसद है "Social Affairs" को एक सूचना-विज्ञान की प्लेटफॉर्म बनाना, जहां हिंदी और अंग्रेज़ी के माध्यम से आपको भारतीय और विदेशी सामाजिक मुद्दों, उदाहरणों, तथ्यों और प्रेरक कहानियों के बारे में जानकारी प्रदान की जाये। हिंदी भाषा में जानकारी प्राप्त करने का उच्चारण अधिकतर वेबसाइटों पर मुश्किल होता है, इसलिए मैंने इसे एक मुख्य ध्यान बनाया है।

Topics Covered:
मैं इस ब्लॉग पर सामाजिक ज्ञान के विभिन्न पहलुओं पर विचार करना चाहता हूँ। कुछ मुख्य विषय शामिल हो सकते हैं, जैसे:
1. भारतीय संविधान और राष्ट्रीयता
2. महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता
3. शिक्षा के महत्व और उसके प्रभाव
4. पर्यावरण संरक्षण और साइंटिफिक ढांचे
5. स्वस्थ जीवन शैली और रोग-मुक्त समाज
6. भारतीय भू-संपदा और पर्यटन स्थल
7. विज्ञान, तकनीक और आधुनिक समाज
और भी यहां नई जानकारी और सुझाव प्रदान किये जाते हैं।

Conclusion:
मेरी इच्छा है कि यह ब्लॉग "Social Affairs" आपको संविधानिक, सामाजिक और मानवीय मुद्दों के बारे में संवेदनशील बनाएगा। मैं इस वेबसाइट को अपडेट करने का प्रयास करूँगा ताकि हम सब को सूचित रख सकें और एक बेहतर समाज के निर्माण में योगदान कर सकें। आप सभी का स्वागत है इस सामाजिक ज्ञान का मंच के रूप में! आइए हम मिलकर एक बदलाव लाएंगे।

धन्यवाद!

- Mahesh Kumar Verma

Tuesday, January 9, 2024

THE TIME TRAVEL THEORY

 THE TIME TRAVEL THEORY

BY:-MAHESH KUMAR VERMA

समय यात्रा सिद्धांत: भूतकाल और भविष्य की ओर एक अद्भुत सफर

विज्ञान और तकनीकी के विकास के बावजूद, मानव चेतना वैज्ञानिक सूचना तक पहुँचने के लिए कुछ साफ़ या गलत नहीं कह सकती है। एक सामान्य मानव अपनी जीवनशैली में समय की महत्वता को महसूस करता है, और हर मनुष्य को उसकी खोखली महज़ा के बारे में ओर कई सवालों पर विचार करना होता है। यात्रा प्रणाली के आगमन से पहले, सभी ने सपने देखे हैं, जहाँ सपनों और सीमित मात्रा तक जो रह सकता है, वह सच होता है।

हितलर द्वारा ब्यूरो सी और एंटोनी थापमोरी के रॉकेट साइंटिस्ट ने परमाणु औषधी के विकास के पश्चात बुनियादी तांत्रिक शिक्षाओं की गहराई में शोध की है। मनोविज्ञान का जागरूकता गति धारण में रहता है, बाद में लियो बीलकीन्स आदि ने नव संस्थाओं के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

क्या वाकई एक मनुष्य में एक दिन पहले का ज्ञात ज्ञान दी जा सकती है, वाकई भविष्य की योजना करी जा सकती है? ये सवाल हर किसी के मन में ख़ंडित होते रहते हैं। अगर ऐसा हो सकता है, तो क्या हमारे हाथ में वर्तमान, भूतकाल और भविष्य के बारे में ज्ञान को हासिल करने की क्षमता है?

समय यात्रा का वैज्ञानिक आयाम अभी भी हमारे मन को हकीकत से मिला नहीं है, लेकिन काफी समय से ही कुछ वैज्ञानिक अध्ययनों ने दिखाया है कि समय यात्रा संभव है। वैज्ञानिक तथ्यों के मुताबिक, समय की अद्यतनता में जो बदलाव हम अनुभव करते हैं, उसका एक सिद्धांत पूरी दुनिया द्वारा मान्यता प्राप्त हो चुका है।

विज्ञान के अनुसार, अंतरजाल में एक संचार के नक्शे खींचने से समय क्षेत्र के बारे में ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है, जो समय यात्री के लिए एक प्रयोगात्मक चीज़ हो सकता है। इसके अलावा, सृष्टि में समय के माध्यम से आद्यमेव पहुँचने की कितनी सरल क्रिया उनके वाहन की गति की अंतरिक्ष एजेंसी की योजना की गणना में प्रभावित नहीं होती है। हालांकि, अभी तक कोई प्रमाणित यात्रा घटनाएँ नहीं हैं, जिससे हमें यकीन हो सके कि समय यात्रा का वास्तविक अस्तित्व है।

कुछ लोग समय यात्रा को सिर्फ छलका मानते हैं, जबकि कुछ लोग इसे एक वास्तविकता मानते हैं। वैज्ञानिक समुदाय अभी भी इस विषय पर कार्यरत हो रहे हैं, और हमें इन अध्ययनों की पाॅजिटिव या नेगेटिव पारीक्षा की ज़रूरत है। हमारे वर्तमान दौर में यह पूरी तरह से संभव नहीं है कि हम समय में यात्रा कर सकें, लेकिन भविष्य में इस सिद्धांत की वास्तविकता को साबित कर पाएंगे, यह जरुरी है कि हम नये और विश्वसनीय प्रमाण खोजें और समय यात्रा के संबंध में और अध्येयन भी करें।

एक बात साफ है, समय यात्रा की सच्चाई या बाकी उन्मुख कार्यों का अंधविश्वास या माया छोड़ देना, हमारी संज्ञाना विकास के उन उपायों में जो आज तक के सारे शास्त्रों से आगे बसने की प्रतिक्रियाओं को देख रहे हैं। इसलिए, समय यात्रा एक मजेदार और विचित्र विषय है, जो वैज्ञानिकों और मनोविज्ञानियों के अध्ययन को चुनौती दे रहा है। यदि समय यात्रा संभव है, तो हमें भूतकाल को पुनः जीने और भविष्य में नयी योजनाएँ बनाने का अवसर मिलेगा, और हमारे जीवन को एक नया मार्ग प्रदान कर सकेगा।

Time Travel Theory: An Incredible Journey into the Past and Future

Despite the advancements in science and technology, the human mind cannot simply accept or dismiss the idea of accessing scientific information. Every individual, in their own lifestyle, feels the importance of time and ponders upon the mysteries surrounding it. Time travel has been a subject of fascination, where fantasies and limited possibilities can sometimes turn into reality.

Scientists like Büro C and rocket scientist Anthony Thomory delved deep into the realm of fundamental technical teachings after the development of atomic medication by Hitler. Later, pioneers like Leo Bilkiens contributed significantly to the development of new agencies.

Can a person truly possess knowledge of the previous day or plan for the future? This question continues to haunt everyone's mind. If it were possible, do we possess the ability to acquire knowledge about the present, past, and future?

The scientific dimension of time travel is still unknown to our mind, but some scientific studies have shown that time travel is possible. According to scientific facts, the alteration experienced in the perception of time has been acknowledged globally. 

Based on scientific views, knowledge about the time domain can be obtained by drawing communication maps in the interweb, which can serve as an experimental element for time travelers. Apart from that, the ease of accessing the beginning of the creation through time is not influenced by the calculations of their vehicle's speed by the space agency. However, there is no proven evidence yet that could assure the existence of time travel.

Some people consider time travel as mere fantasy, while others believe it to be a reality. The scientific community is still actively engaged in this subject, and we need to examine the positive or negative aspects of these studies. In our current era, it is not entirely possible for us to time travel, but in the future, we may prove the reality of this concept. It is essential for us to continue exploring new and credible evidence, as well as conduct further studies regarding time travel.

One thing is clear, leaving behind the misconceptions or illusions of the truthfulness of time travel or other biased activities, we are witnessing the reactions of those means that are ahead of all the disciplines prevailing till date in our cognitive development. Therefore, time travel is an intriguing and peculiar subject that challenges the studies of scientists and psychologists alike. If time travel is possible, it will provide us with an opportunity to relive the past and shape new plans for the future, offering a new path for our lives.

Parallel Universe

    Parallel Universe

By:-Mahesh Kumar Verma

पैरलल यूनिवर्स: सच या ख्वाब?

क्या आपने कभी सोचा है कि हमारी दुनिया के अलावा भी कोई अवसादी, एक अन्य विश्व हो सकता है? कहीं ऐसा जगत् तो हो सकता है जो हमारे साथ लगभग समान समय में चल रहा हो? ये प्रश्न आधुनिक विज्ञान के लोगों के मन में बार-बार धर रहा है। जबतक पर्याप्त सबूतों से सीधा जुड़ाव नहीं होता, इसे सिर्फ एक काल्पनिक या विद्यार्थी नकली दुनिया के रूप में ही माना जाता है। इसलिए, हम शायद इसे "पैरलल यूनिवर्स" कह सकते हैं।

परन्तु इन रेखाओं के परे, परमाणु भौतिकी और खागोल विज्ञान में बहुत से साक्ष्य मिलते हैं जो हमें धीमे धीमे ये समझाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं कि पहले से सृजित पैरलल यूनिवर्स अस्तित्व में हो सकते हैं। उन्होंने प्रकाश के दोहरी रंगों के विचार पर चर्चा की है, जहां आवश्यकता अधिकतम सीमा को पार करने के लिए कोई और व्यक्ति या वस्त्र की कार्यकलाप को "नकल" कर सकता है।

विद्यार्थी और शोधार्थी मानते हैं कि यह "विकल्पवादी" सोचने की कारण, जैसे हमारी क्रियाओं का चयन करने पर हमारे द्वारा बना काउंटरफैक्ट के जरिए एक पैरलल यूनिवर्स बन जाता है जहां हमारी वस्त्राधान के साथ कुछ भी हो सकता है। यह सिद्धांत उसके साथ-साथ मंदिर में सैर और भविष्य की ऊंचाई के बीच एक पैरलल संस्कृति का भी सुझाव देता है।

इस रूप में पैरलल यूनिवर्स की अस्तित्वता की तुलना एक अद्वैतिय संतान की संख्या तक भी की जा सकती है, जिन्हें भारतीय ज्योतिष विज्ञान के अनुसार ज्ञात किया गया है। यह तथ्य आधुनिक खोजों ने भी स्वीकार किया है, जो विद्यार्थियों और शोधार्थियों को उनकी आंखों के सामने ये साबित कर चुके हैं। यहां तक कि कुछ संशोधन उदाहरण प्रस्तुत करते हैं जब अस्तित्वित होता है कि एकाधिक यूनिवर्स, या संघटित यूनिवर्स में जीवन मंदिर का पहले से अस्तित्व होता है।

यकीनन, एक पैरलल यूनिवर्स के विचाराधीन संदर्भों के बावजूद, इसका वास्तविक अस्तित्व सिद्ध करना अभी भी विज्ञान की एक सधुर चुनौती है। हमें और अधिक अध्ययन और प्रमाणों की आवश्यकता है जो हमें इन प्रश्नों के उत्तर तक पहुंचाएंगे। संसार तो बदलता रहेगा, सभी अवश्यक बातें यूनिवर्स का ही हिस्सा हैं।

इससे हमें सिखाया जाता है कि हमारे दृष्टियों को खोलकर सच्चाई को देखने की आवश्यकता है। शायद ही कोई बात निष्कर्षों या सत्य ही हो। हमारी किसी अन्य विज्ञानशास्त्रीय मीठर में इस विषय पर बहस के एक अच्छे संशोधक ने कहा है, "एक सच्चे विज्ञानशास्त्री का कार्य होता है, अप्रमाणिकता में सत्य तलाशना, उन्हें सच्चाई की तलाशना में सबसे आगे बढ़ते हैं।"

आइए हम सभी इस रियलिटी में संलग्न रहें और पथिक बनें, जो पैरलल यूनिवर्स के बारे में अध्ययन करके इस तत्वयान की उचितता या अवगत कराने की कोशिश कर रहे हैं। जहां विज्ञान और तात्त्विकता मिलती हैं, वहां सत्य चिपकाना संभव होता है। संघर्ष और सभ्यता के बीच ये विचार हमारे मन की धडकन को सुनाते हैं, जो हमें और अधिक जोखिम उठाने के मार्ग में ले जाते हैं, और इस प्रक्रिया में बिटवाए हर उलझन को समझने की प्रेरणा देते हैं।

Parallel Universe: Fact or Fiction?

Have you ever wondered if there could be another universe apart from our own, one that is running parallel to us almost in the same time? This question has intrigued the minds of scientists and scholars alike. Until there is sufficient evidence to directly link it, it is considered only as a fictional or hypothetical creation. Hence, we may refer to it as a "parallel universe."

However, beyond these lines, there is enough evidence in the fields of quantum physics and astrophysics that encourage us to slowly understand the possibility of pre-existing parallel universes. They have discussed the idea of the duality of light, where another person or object can "mirror" the actions of an individual or a particular event to surpass the maximum speed limit of light.

Scholars and researchers believe that this "alternative" way of thinking creates a counterfact against our chosen actions, resulting in the creation of a parallel universe where anything is possible along with our clothing choices. This principle also suggests the existence of a parallel culture between the visit to a temple and the height of future.

In this context, the existence of parallel universes can be compared to the number of Advaita children known according to Indian astrology. This fact has been acknowledged by modern research, which has proven to students and researchers alike. Some studies even present examples when life in a temple already exists in multiple universes or within a collective universe.

Undoubtedly, despite the theoretical debates surrounding the existence of parallel universes, it still remains a scientific challenge to prove its actual existence. We need more extensive research and evidence to provide us with answers to these questions. The world will continue to evolve; all things necessary are part of the universe.

It teaches us to open our perspectives and seek the truth in reality. Perhaps there is no conclusion or absolute truth. A renowned researcher in an alternative science mentions, "the work of a true scientist lies in seeking the truth amidst uncertainty, as they lead the exploration of truth amidst uncertainty."

Let us all be engaged in this reality and become travelers who through the study of parallel universes are trying to ascertain the essence or awareness of this element. Where science meets spirituality, it becomes possible to discover the truth. Amidst struggle and civilization, these thoughts resonate within our hearts, guiding us towards taking more risks and understanding every puzzle encountered in this process.

Google's CEO Sundar Pichai

GOOGLE'S CEO SUNDAR PICHAI




BY:-MAHESH KUMAR VERMA

सुंदर पिचाई: गूगल के अद्यक्ष एवं प्रशासनिक कार्यकारी

सुंदर पिचाई, गूगल के अद्यक्ष और प्रशासनिक कार्यकारी हैं। वे एक ज्ञात बिजनेसमैन और टेक्नोलॉजी नेता हैं, जिन्होंने अपने प्रभावशाली कार्यकाल के दौरान गूगल को नए महत्वपूर्ण ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।

सुंदर पिचाई का जन्म 10 जुलाई 1972 को तमिलनाडु, भारत में हुआ। उन्होंने अपनी पढ़ाई को जबलपुर, मध्यप्रदेश में पूरी की और फिर स्टानफोर्ड विश्वविद्यालय, कैलिफोर्निया में इंजीनियरिंग पढ़ाई। इसके बाद उन्होंने व्यवसाय में स्नातक डिग्री प्राप्त की और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में एमबीए की पढ़ाई की। करियर की शुरुआत में सुंदर पिचाई ने एक यूएस बैंक के लिए कार्य किया, लेकिन उन्होंने जल्द ही गूगल में शामिल होने का फैसला किया।

सुंदर पिचाई ने 2004 में गूगल में कार्य शुरू किया था। उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है, जिनमें से एक उनकी सबसे पहली छवि सर्वर बनाने की जिम्मेदारी थी। उसके बाद वे फ़ायरफ़ॉक्स वेब ब्राउज़र के लिए कार्य किया, जहां उन्होंने उनके अद्यतन, गुणवत्ता और उपयोगिता को सुधारा। इसके बाद उन्होंने अंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम के विकास को अध्यायन किया और उसे गूगल के बेहतरिन इंजीनियरिंग दर्शाने वाले चार्टर्ड इंजीनियर के तौर पर मान्यता दी।

2015 में, सुंदर पिचाई को गूगल के अद्यक्ष के रूप में चुना गया। उनके योगदान और नेतृत्व ने गूगल को एक वैश्विक टेक्नोलॉजी कंपनी बना दिया है। पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने गूगल के प्रमुख उत्पादों को और शक्तिशाली और उपयोगकर्ता केंद्रित बनाया है।

सुंदर पिचाई को उनकी प्रशासनिक क्षमताओं के लिए पहचाना जाता है। उनकी दूसरी भाषा के रूप में हिंदी और तमिल का ज्ञान उन्हें विशेष बनाता है। उन्होंने शिक्षा के लिए गूगल इंडिया की ओर से शिक्षा की पहल की है, जहां वे आविष्कार और इंजीनियरिंग कौशल को प्रोत्साहित करने वाली संस्थाओं को साझा करने की कोशिश करते हैं।

समाप्त रूप में, सुंदर पिचाई गूगल के सफल नेता, प्रशासक और उदार संघर्षक हैं, जिन्होंने इंटरनेट के विश्व को एक साथ बाँधने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनका योगदान भूतपूर्व प्रशासनिक कौशल, सादगी और टेक्नोलॉजी में अविश्वसनीय ज्ञान पर आधारित है।

Sundar Pichai: Google's CEO and Administrative Executive

Sundar Pichai is the CEO and administrative executive of Google. He is a renowned businessman and technology leader, who has led Google to new heights of importance during his impactful tenure.

Sundar Pichai was born on July 10, 1972, in Tamil Nadu, India. He completed his education in Jabalpur, Madhya Pradesh, and then pursued engineering at Stanford University in California. He subsequently obtained a graduate degree in business from Harvard Business School. In the early days of his career, Sundar Pichai worked for a US bank, but soon decided to join Google.

Sundar Pichai began working at Google in 2004. He has held several important positions, including being responsible for creating Google's first image server. He then worked on the Firefox web browser, where he improved its updates, quality, and usability. He later studied the development of the Android operating system and was recognized as a distinguished engineer, exemplifying Google's excellent engineering.

In 2015, Sundar Pichai was chosen as the CEO of Google. His contributions and leadership have transformed Google into a global technology company. In recent years, he has made Google's primary products even more powerful and user-centric.

Sundar Pichai is known for his administrative abilities. His knowledge of Hindi and Tamil as his second languages makes him distinctive. He initiated the Google India Education Initiative, where he strives to collaborate with organizations that promote discovery and engineering skills.

In conclusion, Sundar Pichai is a successful leader, administrator, and philanthropist for Google, who has played a crucial role in bringing the world of the internet together. His contribution is based on his former administrative skills, simplicity, and incredible knowledge in technology.

Sunday, January 7, 2024

Cyber Security

            Cyber Security

By:-Mahesh Kumar Verma

Cyber Security: Protecting the Digital World

कंप्यूटर और इंटरनेट की दुनिया ने हमारे जीवन को बेहद आसान और रंगीन बना दिया है। हम दूर बैठे दोस्तों और परिवार के साथ जुड़े रह सकते हैं, खरीदारी और व्यापार कर सकते हैं, बिना किसी परेशानी के जानकारी और संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं। हालांकि, इस नई डिजिटल युग के साथ साथ, आपत्तिजनक और घातक उपयोगकर्ताओं की संख्या बढ़ रही है। यहां आत्मसुरक्षा और साइबर सुरक्षा का महत्व सामने आता है।

Cyber Security (साइबर सुरक्षा) क्या है?

साइबर सुरक्षा केवल व्यक्ति, स्थान और दूसरे संगठनों को संगठित और असंगठित अपराधियों और उपयोगकर्ताओं से रखरखाव करने की प्रक्रिया है। इसका उद्देश्य निजी और सार्वजनिक संपदा, कंप्यूटर नेटवर्क और संबंधित डेटा की रक्षा करना है। साइबर सुरक्षा के माध्यम से, यह योजनाबद्ध और प्रोएक्ट स्तर पर धारित किए जाते हैं जो कुछ महत्वपूर्ण उच्च तत्वों के बारे में सोचते हैं:

1. आपत्तिकरण: सुरक्षा केंद्रित संगठन और प्रोफेशनल्स को आपत्ति की संभावनाओं की पहचान करना चाहिए और आपत्ति के स्रोतों को रोकने के तरीके बनाने के लिए योजना बनानी चाहिए।

2. संरक्षण: साइबर उपयोगकर्ता को उनकी निजी जानकारी, डेटा और संपदा की सुरक्षा के लिए उपयोग सुनिश्चित करनी चाहिए। इसमें उच्च सुरक्षा का इस्तेमाल शामिल है, जैसे कि पासवर्ड, उपयोगकर्ता आईडी, एन्क्रिप्शन और दूसरी सुरक्षा तकनीक।

3. प्रतिरोध: हमेशा ध्यान देना चाहिए कि साइबर दुनिया में आपत्तिजनक और विपदामय अथवा शानदार उपयोगकर्ता हो सकते हैं। इसलिए, संपदा संचालन परिप्रेक्ष्य में हमेशा पहले से तैयार भी रहना चाहिए।

कंप्यूटर और इंटरनेट संबंधी धोखाधड़ी की बगड़ ने साइबर सुरक्षा को महत्वपूर्ण कार्य के रूप में उभारा है। हां, आज के दिन में बड़ी कंपनियां, बैंक, सरकारी एवं अच्छे प्रबंधित संगठन भी संगठित और असंगठित हमलों का शिकार हो रहे हैं। निजी और सार्वजनिक वेबसाइटों पर हो रही अनधिकृत पहुँच और आपत्तिजनक उपयोगकर्ताओं की संख्या काफी बढ़ चुकी है।

साइबर सुरक्षा में विफलता लाने वाले कुछ प्रमुख हादसों में डायरेक्टएडेन, वननेट्वर्कसेवृ और अनुभागीकरण कुछ प्रमुख उदाहरण हैं। इनके छल से कंप्यूटर खतरे में पड़ सकते हैं, ऑनलाइन इंटरशिप्स और आधारित जानकारी भी अवैध उपयोग की भूमिका निभा सकती है।

साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में करियर

मेहनत, नेटवर्किंग, कंप्यूटर साइंस, साइबर सुरक्षा और इंटरनेट सुरक्षा जैसे विषय पर अनुभव का होना, कंप्यूटर सुरक्षा का करियर चुनने में मदद कर सकता है। अगर आपका अनुभव है या इसकी अध्ययन कर रहे हैं, तो आपके पास फिल्टरिंग, वेब, ऑपरेशनल एवं नेटवर्क साइबर सुरक्षा क्षेत्र में नौकरी प्राप्त करने के विकल्प हैं।

विधार्थी सूचना: हमेशा अपने पीसी, स्मार्टफोन, और दूसरे इंटरनेट उपकरणों के लिए सुरक्षा साधारित करें। नेटवर्क सुरक्षा सॉफ़्टवेयर, फ़ायरवॉल्स, एंटीवायरस, और ब्राउज़र सुरक्षा विषय पर ध्यान दें और व्यक्तिगत जानकारीयों की संभावित भंजन से बचने के लिए एन्क्रिप्शन का उपयोग करें।

सुरक्षा बनाए रखना हमारा दायित्व है

अच्छी तरह से प्रशिक्षित साइबर सुरक्षा पेशेवरों की एक मांग है, जो हमारी वेबसाइटें को और सार्वजनिक स्थानों को सुरक्षित और सुरक्षित बनाए रख सकें। हमें संसाधनों, प्रशिक्षण के साथ मजबूती करनी चाहिए ताकि हम साइबर सुरक्षा द्वारा उठाए जा रहे अभियान को जारी रख सकें। साइबर अपराध और धोखाधड़ी प्रभावित हो रहे लोगों के लिए एक अलग संकट है, और हमें समाज के लिए एक सुदृढ़ता का संकेत है।

साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देना आवश्यक है, न कि अनिवार्य। हम सभी का संकल्प होना चाहिए कि हम अपने डिजिटल दुनिया की सुरक्षा के लिए एकजुट रहेंगे और कार्रवाई लेंगे। हमारे जीवन में डिजिटल सुरक्षा को एक वारंट होना चाहिए, जो हमारी नवीनतम और आगे बढ़ने वाली तकनीकों को सुरक्षित रख सके और आगे बढ़ सके।

Cyber Security: Protecting the Digital World

The world of computers and the internet has made our lives incredibly easy and colorful. We can connect with friends and family who are far away, shop and do business, and access information and resources without any hassle. However, with this new digital age, the number of malicious and harmful users is also increasing. This is where the importance of self-protection and cyber security comes into play.

What is Cyber Security?

Cyber security is the process of protecting individuals, locations, and other organizations from organized and unorganized criminals and users. Its purpose is to safeguard personal and public property, computer networks, and related data. Through cyber security, planned and project-level measures are implemented, which consider some important elements:

1. Identification: Security-focused organizations and professionals should be able to identify potential threats and create strategies to prevent the sources of those threats.

2. Protection: Cyber users should ensure the security of their personal information, data, and assets. This includes using high-security measures, such as passwords, user IDs, encryption, and other security techniques.

3. Response: It is important to always keep in mind that even in the cyber world, potential threats and both malicious and impressive users exist. Therefore, one should always be prepared beforehand in terms of asset management.

The rise of computer and internet-related scams has highlighted the significance of cyber security as a critical task. Yes, nowadays even large companies, banks, government, and well-managed organizations are falling victim to organized and unorganized attacks. There has been a significant increase in unauthorized access to private and public websites and the number of malicious users.

Some major incidents that have led to failures in cyber security include direct-denial, vulnerabilities in network services, and fragmentation. As a result, computers can be at risk, online transactions and identity-based information can be used for illegal purposes.

Careers in Cyber Security

Having experience in subjects such as hard work, networking, computer science, cyber security, and internet security can help in choosing a career in computer security. If you have experience or are studying these subjects, you have options to work in cyber security fields such as filtering, web, operational, and network cyber security.

Student Information: Always ensure security measures for your PC, smartphone, and other internet devices. Pay attention to network security software, firewalls, anti-virus, and browser security, and use encryption to prevent potential breaches of personal information.

Security is Our Responsibility

Well-trained cyber security professionals are in high demand, who can keep our websites and public places secure. We must strengthen our resources, training, so that we can continue the ongoing campaign through cyber security. Cyber crimes and scams are a crisis for the affected individuals and a sign of vulnerability for society.

Promoting cyber security is necessary, not optional. We should all resolve to unite for the security of our digital world and take action. Digital security should be a guarantee in our lives, one that can keep our latest and advancing technologies secure and propel us forward.

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन

        अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन

By:-Mahesh Kumar Verma

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्थान अभियान: पूरी जानकारी

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्थान अभियान (International Space Station) विज्ञान, तकनीक और अंतरिक्ष शोध के क्षेत्र में विश्व समुदाय के मंच के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुका है। यह मानवीय निर्मित उपग्रह है जो पृथ्वी के स्थिर माध्यम में 408 किलोमीटर (254 मील) ऊपर ओरबिट करता है। यह अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने की क्षमता रखने के लिए निर्मित हुआ है और इसका उद्घाटन 20 नवम्बर 1998 को हुआ था। 

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्थान अभियान का प्रमुख मकसद विज्ञान और अंतरिक्ष शोध की बढ़ती हुई जिज्ञासा को प्रोत्साहित करना है। इसमें विभिन्न देशों के अंतरिक्ष एजेंसी भाग लेती हैं, जिनमें NASA (अमेरिका), Roscosmos (रूस), ESA (यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी), JAXA (जापानी अंतरिक्ष एजेंसी) और CSA (कनेडियन अंतरिक्ष एजेंसी) शामिल हैं। इन संगठनों के वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष यात्रियों के लिए यह अंतरराष्ट्रीय लेबोरेटरी की भूमिका निभाता है, जहां वे भौतिकी, रसायन शास्त्र, जैविक विज्ञान, उच्च ऊर्जा शास्त्र, उपग्रह तकनीकी और मानव आयाम के क्षेत्र में अन्वेषण करते हैं। 

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्थान अनुसंधान में दो वहनों का प्रयोग होता है - रूसी Soyuz एवं अमेरिकी SpaceX Dragon। इसके अलावा, यह स्थायी और एक्सपीडीशन बैठकों के लिए घर की भूमिका निभाता है और अंतरिक्ष में प्रयोग और जांच कार्यों का नेतृत्व करता है।

यह उपग्रह छोटे समयांतर में खोज और प्रवेश के लिए विशेष अवसर प्रदान करता है। अन्तर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्थान अभियान को एमआईएस (अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्थान अभियान, ISS) भी कहा जाता है।

इस मिशन के दौरान अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्थान अभियान में बहुत सारी अनूदित ऊर्जा का योगदान दिया गया है, जिसके बदले में वैज्ञानिक जोड़ सकते हैं। यहां वैज्ञानिकों के लिए किरोसीन, नीचे बमे तेल और सौर ऊर्जा के इस्तेमाल की कोई चिंता नहीं होती है, जो इसके लिए एक स्थायी ऊर्जा स्रोत के रूप में काम करती है। 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) भी इस मिशन में अपना योगदान देता है और अपने वैज्ञानिकों को ISS के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय सहयोग में शामिल किया है। इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्थान अभियान यात्रियों को भूमि से देखने का एक अद्वितीय दृश्य प्रदान करता है और अंतरिक्ष के महकते फूल और बुद्धिमान तारों का अनुभव कराता है।

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्थान अभियान ने विज्ञान, तकनीक और मानवीय शक्ति की महत्त्वाकांक्षी प्रतिष्ठा प्रदान की है। यह अवसर उन यात्रियों के लिए लाभदायक होता है जो भौतिकी, रसायन शास्त्र, जैविक विज्ञान, ऊच्च ऊर्जा शास्त्र, उपग्रह तकनीक और मानविकी आयाम में अग्रगण्य और अद्वितीय अनुशोधन करना चाहते हैं।

International Space Station: Complete Information

The International Space Station (ISS) is recognized globally as a forum for science, technology, and space exploration. It is a human-made satellite that orbits approximately 408 kilometers (254 miles) above the Earth's surface. It was designed to have a long-duration habitation capability and was inaugurated on November 20, 1998.

The primary objective of the International Space Station is to encourage the growing curiosity in science and space research. It involves participation from space agencies of various countries, including NASA (United States), Roscosmos (Russia), ESA (European Space Agency), JAXA (Japanese Space Agency), and CSA (Canadian Space Agency). It serves as an international laboratory for scientists and astronauts from these organizations to conduct exploration in the fields of physics, chemistry, biology, high-energy physics, spacecraft technology, and human dimensions.

The International Space Station utilizes two vehicles for transport and exploration - Russian Soyuz and American SpaceX Dragon. Additionally, it serves as a home for long-duration and expedition meetings and leads experiments and investigations in space.

The ISS provides a unique opportunity for short-term exploration and entry. It is also referred to as the International Space Station (ISS).

During this mission, the International Space Station has contributed significantly to the generation of surplus power that scientists can harness. It eliminates concerns regarding the use of kerosene, fossil fuels, and solar energy, as it operates on a stable energy source.

The Indian Space Research Organization (ISRO) also contributes to this mission and involves its scientists in international cooperation through the ISS. Furthermore, the International Space Station offers astronauts a unique sight of Earth from space and allows them to experience the fragrant blooms and intelligent stars of the cosmos.

The International Space Station has established itself as an ambitious institution for science, technology, and human power. It provides an opportunity for those explorers who aspire to excel in physics, chemistry, biology, high-energy physics, spacecraft technology, and the dimensions of human knowledge.

Note: The response has been edited to improve clarity and coherence.

भारतीय रेलवे

                 भारतीय रेलवे 

By:-Mahesh Kumar Verma

भारतीय रेलवे: एक विस्तृत जानकारी

भारतीय रेलवे एक व्यापक और सुगम रेल परिवहन नेटवर्क है, जो देश के लगभग हर क्षेत्र और नगरी में उच्चतम गुणवत्ता वाली सुविधाएं प्रदान करता है। रेलवे ने भारतीय जनता के जीवन को बदल दिया है, जहां सफ़र करने के लिए संभावनाएं बढ़ गई हैं। भारतीय रेलवे एकत्रण, विविधता और प्रगति का प्रतीक है, और संख्यात्मक माहिती को ध्यान में रखते हुए, मैं आपको इस लेख में इसके बारे में थोड़ी जानकारी प्रदान करने जा रहा हूँ।

भारतीय रेलवे, जो हमेशा अपने पथ पर गति बढ़ाता रहा है, इसके लिए विभिन्न उद्घाटन, सुविधाएं और विशेषताओं की पेशकश करता रहता है। धीरे-धीरे मॉडर्नीकरण के साथ, यात्रियों को सुरक्षित और आरामदायक ढंग से सफर करने की व्यवस्था करने का प्रयास किया गया है। इसके अलावा, एक महत्वपूर्ण घोषणा है कि भारतीय रेलवे क्रीज़ो के दौरान भी सदैव संचालित रहता है। यह रेलवे व्यवसायिक मानदंडों का पालन करते हुए, यात्रियों के समर्थन और रेल परिवहन के सतत विकास का संकल्प लेता है।

भारतीय रेलवे की स्थापना 1853 में हुई थी और इसका महत्वपूर्ण कार्यक्षेत्र यात्रा, परिवहन और लोगिस्टिक्स में है। यह यातायात और सामान को परिवहन करने का एक प्रमुख जरिया है और देश की आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण साझा आधार माना जाता है। भारतीय रेलवे वेबसाइट के माध्यम से, आप अपनी यात्रा की विवरणों और रिजर्वेशन की प्रक्रिया की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

भारतीय रेलवे में प्रवेश करने के लिए, आपको ट्रेन की टिकट या पास की आवश्यकता होगी। आप रेलवे स्टेशनों पर मौजूद टिकट बुकिंग केंद्रों से या ऑनलाइन रेलवे बुकिंग वेबसाइट से आसानी से अपना टिकट बुक कर सकते हैं। भारतीय रेलवे के बदले हुए समय में, आप भी श्रेणीबद्ध यात्राएं, VIP कोच, हंमोग, एक्जीक्यूटिव क्लास आदि का चयन कर सकते हैं।

भारी यात्राओं का आयोजन करने वाले उद्योग के लिए, भारतीय रेलवे लोगों के रूप में सुरम्यता के साथ व्यवहार करने की सुविधा प्रदान करता है। वहाँ पर्यटन विभाग के द्वारा संचालित स्पेशल ट्रेनें होती हैं जो पर्यटन ट्रिप्स के लिए विभिन्न आकर्षणों को जोड़ती हैं। इन विशेष ट्रेनों का संचालन विशेष मौसमों, महोत्सवों और पर्यटन नगरों के अनुकूल किया जाता है।

भारतीय रेलवे के करोड़ों कर्मचारियों द्वारा उत्कृष्टता की पेशकश को ध्यान में रखते हुए, भारतीय रेलवे देशीय और अंतराष्‍ट्रीय प्रमाण पर हमेशा मुहैया करता रहा है। यह सफलता इसकी अद्वितीय माहिती प्रणाली, पर्यटन सुविधाएं, विमान विश्रामकक्ष, एक्सप्रेस ट्रेनें और अन्य सुविधाएं पर निर्भर करता है।

भारतीय रेलवे एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संपदा है और यह उत्तरदायी है कि हम इसे सुरक्षित, स्वाच्छ और उच्च गुणवत्ता यात्रा के लिए सुनिश्चित करें। हमें सही मार्गदर्शन, होम और विदेश यात्रियों का आदर करते हुए, अपना अपार संरचना, विवरण और विविधता में निवेश करना चाहिए ताकि इस संगठन का विकास और सुविधाओं के लिए भविष्य में शुद्ध-प्रभावी हो सके।

Indian Railways: A Comprehensive Information

Indian Railways is an extensive and convenient rail transportation network that provides high-quality services in almost every region and city of the country. Railways have revolutionized the lives of Indians, offering increased possibilities for travel. Indian Railways symbolizes unity, diversity, and progress, and with a focus on numerical information, I am providing you with some details about it in this blog post.

Indian Railways, which is always on the move to progress, regularly presents various inaugurations, facilities, and features to enhance the travel experience. With gradual modernizations, efforts have been made to establish safe and comfortable travel arrangements for passengers. Additionally, an important announcement is that Indian Railways operates continuously even during crises. It is committed to following commercial standards, supporting passengers, and pursuing the constant development of rail transport.

Indian Railways was established in 1853 and its significant scope is in the fields of travel, transportation, and logistics. It serves as a major means to transport both people and goods, and is considered an important shared foundation for the country's economic development. Through the Indian Railways website, you can obtain details about your journey and the reservation process.

To board Indian Railways, you will require a train ticket or pass. You can easily book your ticket from ticket booking centers located at railway stations or through the online railway booking website. In the revamped Indian Railways, you can also choose different types of travel such as class of travel, VIP coaches, AC coaches, executive class, etc.

For industries arranging heavy travels, Indian Railways provides the facility to handle people with elegance. Special trains operated by the tourism department connect various attractions for tourism trips. The operation of these special trains is tailored to favorable weather, festivals, and tourist destinations.

Considering the excellence offered by millions of Indian Railways employees, Indian Railways has consistently excelled on both national and international scales. Its success depends on its unique information system, tourism facilities, lounges, express trains, and other amenities.

Indian Railways is a crucial national asset, and it is responsible for ensuring that we have it in a safe, clean, and high-quality state for travel. We need to invest in our vast infrastructure, details, and diversity with proper guidance, while honoring home and international travelers, so that the organization's growth and future effectiveness for amenities can be ensured.

डॉ एस जयशंकर भारतीय विदेश मंत्री

 डॉ एस जयशंकर भारतीय विदेश मंत्री

By-Mahesh Kumar Verma

आज के इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि कैसे डॉ. एस जयशंकर ने अपने संघर्ष और कुछ सीखने का प्रयास किया, बचपन से विदेश मंत्री बनने तक का सफर इन्हें हम निमन चरनो में समझने की कोशिश करते हैं!


डॉ. एस जयशंकर: बचपन से विदेश मंत्री तक की खोज - महेश कुमार वर्मा (Dr. S jaishankar: Childhood to Foreign Minister Research by Mahesh Kumar Verma)

हमारी देशभक्ति और सेवा-भावना के मग्न हो चुके डॉ. सुब्रमण्यम जयशंकर ने अपने करियर के दौरान आपूर्ति राज्य मंत्री और विदेश मंत्री के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इनके कार्यकाल के दौरान, भारतीय विदेश नीति में बड़ी प्रगति हुई है और वह विदेशों में देश की छवि को नया रंग देने में योगदान दिया है।

उनकी कार्यभूमि पर सीमित माहिती का अभाव होने के कारण हैंडल रहना कठिन हुआ, लेकिन मेरे पास एक अनुसंधान है जो दिखा सकता है कि डॉ. जयशंकर की पुरानी संबंधों, शिक्षा और प्रारम्भिक जीवन की कहानी कितनी मार्मिक और प्रेरक है।

डॉ. जयशंकर का जन्म 9 जनवरी 1955 को महाराष्ट्र के पुणे में हो गया था। उनके पिता लक्ष्मण दाश जी एक मान्यता प्राप्त फिजिशियन थे और माता शीला जी एक गृहणी थीं। वे पंचवीं पीढ़ी के मूल रूप से इयोतिस्म के परिवार से संबंध रखते हैं।

डॉ. जयशंकर की शिक्षा मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से हुई है। उन्होंने वायुसेना स्कूल, डीजी वीडियो केंद्रल ड्रेविनगर कॉलेज और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अपनी उच्च शिक्षा की है। उन्होंने आईएएस की परीक्षा उत्तीर्ण की और सिविल सर्विस में प्रवेश किया। उनकी कठिनाईयों और सामरिक माहीती की कमी के कारण हम इनके शिक्षाग्रहण के बारे में अधिक अनुसन्धान नहीं कर सकते हैं।

आईएफएस की अवधारणा पर काम करते के दौरान, उन्होंने कई महत्त्वपूर्ण पद को संभाला है। उन्होंने आईएफएस के प्रशासकीय मंत्री के रूप में काम किया है, जहां उन्होंने बांगलादेश और श्रीलंका जैसे पड़ताल के मामलों का प्रबंधन किया। बाद में, उन्होंने 2019 में विदेश मंत्रालय के अध्यक्ष के रूप में कर्र्यभार संभाला, जहां उन्होंने विदेश नीति को स्थायी रूप से मजबूत बनाने के लिए कठोर कार्य किया है।

डॉ. जयशंकर ने अपनी प्रेरणा और सफलता के पीछे एक दूसरे से सीख लिया हैं, काम कर के इन्होंने दिखाया हैं कि मेहनत, संघटनात्मक योजना और निरंतरता के साथ साथ विजयी बनाने में सहायक हैं।

इस अनुसंधान से हम डॉ. एस जयशंकर के मानवीय और व्यक्तिगत पहलुओं को समझने का संघात ले सकते हैं। उनके परिवार के प्रति उनके प्यार का इजहार और शिक्षा के मामलों में उनकी ऊँची सोच ने उन्हें सशक्त और सफल शख्सियत बनाया है। उनकी योगदान के लिए हमेशा आभारी रहेंगे और उनसे प्रेरणा लेते रहेंगे।

Dr. S Jaishankar: Childhood to Foreign Minister Research by Mahesh Kumar Verma

Dr. Subrahmanyam Jaishankar, deeply rooted in our patriotism and service mindset, has played a significant role in his career as the Minister of State for Commerce and Industry and later as the Minister of External Affairs. During his tenure, there has been remarkable progress in India's foreign policy and he has contributed to enhancing the country's image abroad.

Due to the limited information available about his professional life, it has been challenging to handle his Twitter profile. However, I have conducted research that can shed light on how Dr. Jaishankar's early relationships, education, and childhood story are both profound and inspiring.

Dr. Jaishankar was born on 9th January 1955 in Pune, Maharashtra. His father, Shri Lakshman Das, was a renowned physician, and his mother, Shrimati Sheila, was a homemaker. He belongs to a lineage of diplomats as his fifth-generation ancestors were associated with diplomacy.

Dr. Jaishankar received his education from prestigious universities. He completed his schooling from Air Force School and DJ Middle School in Delhi and pursued higher education from Jawaharlal Nehru University. He cleared the Indian Administrative Service examination and entered the civil services. Due to the scarcity of information on his education and military background, we cannot delve deeper into his academic pursuits.

During his tenure at the Indian Foreign Service, he held several key positions. He worked as an administrative minister in the Indian Foreign Service, where he managed cases involving Bangladesh and Sri Lanka. Later, he took charge as the Foreign Secretary of India in 2019, where he has worked rigorously to strengthen the foreign policy on a permanent basis.

Dr. Jaishankar has drawn inspiration and success from learning from others. Through his work, he has showcased that hard work, strategic planning, and perseverance are instrumental in achieving success.

Through this research, we can gain a glimpse into Dr. S Jaishankar's humane and personal aspects. His expression of love towards his family and his high thinking in matters of education has made him a strong and successful individual. We will always be grateful for his contributions and continue to draw inspiration from him.
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Friday, January 5, 2024

सुपर कंप्यूटर

                सुपर कंप्यूटर

By:-Mahesh Kumar Verma

सुपर कम्प्यूटर: सुपर संगणक का परिचय

संगणक विज्ञान में उन्नति के साथ सुपर कम्प्यूटर का महत्वपूर्ण स्थान है। ये उन कम्प्यूटरों को कहते हैं जिनमें अत्याधुनिक प्रोसेसिंग क्षमता होती है और वे विशेष कार्यों को करने के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं। इन्हें कम्प्यूटिंग की दुनिया के शासक भी कहा जाता है क्योंकि ये पूरी दुनिया के लगभग सभी क्षेत्रों में उपयोग होते हैं। इस निबंध में हम जानेंगे कि सुपर कम्प्यूटर क्या होता है, उसका इतिहास क्या है और उसके बारे में इतने बड़ी बातें जानने के बाद भी आज उसकी क्‍या स्थिति है।
 
1. सुपर कम्प्यूटर एक ऐसा कंप्यूटर है जिसमें कई बार तेजी से प्रोसेस की गई कंप्यूटर प्रोसेसर्स होते हैं।
2. इन कम्प्यूटर में अत्याधुनिक हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है जो उसे इसकी अद्वितीय गति में तकनीकी कमीज करते हैं।
3. कॉम्प्यूटर के इन ताकतवर केंद्रों को हर्नेस करतें हुए उन्नति को अव्‍यवसायिक और वैज्ञानिक उपयोगों को अग्रिम बनाने के लिए उन्नतीकरण करते हैं।
4. समय और शक्ति की बचत का उदाहरण देते हुए, इन सुपर कंप्यूटर कार्यों को होतस्त करते हैं जो वास्तव में संभव नहीं होते हैं।
5. सुपर कम्प्यूटर के निर्माण में एक महत्वपूर्ण तत्व है, सभी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के कारण समान और जुड़ाव होना चाहिए।

6. आपको ये जानना आवश्यक है कि, सुपर कम्प्यूटर का प्रयोग किसलिए किया जाता है।
7. आप इसका उपयोग अद्वितीय योजनाएं योजित कर सकते हैं जो कि इतने शक्तिशाली हैं कि वे तत्काल प्रोसेस की जा सकती हैं, अनेक संभवता अथवा आदेशों को अध्यापक रूप से व्यवस्थित कर सकती हैं और उपक्रमित कर सकती हैं, उदाहरण के लिए क्‍रियाएं कर सकती हैं, रंगों को मिला सकती हैं, ब्रेन लॉक कर सकती हैं, अथवा विशेष जीवों (जिनमें से कुछ अनुप्राणिय हो सकते हैं) को मौक़े पर इत्‍यादि।
8. सुपर कंप्यूटर भविष्य में आने वाले विज़न को लेकर हमारे सामाजिक परिवेश की अवधारणाएं परिवर्‍तित कर सकते हैं।
9. सुपर कंप्यूटर का उद्‍देश्‍य होता है कि उसे छोटे समय मुद्रित करना चाहिए ताकि इसे मिस करने का ख़तरा ना हो पाए।
10. सुपर कंप्यूटर वैश्विक संगणक धारा में शक्तिशाली एकत्रीकरण का एक प्रतीक भी है।

11. सुपर कंप्यूटर की विशेषताएं होती हैं जहां IT प्रतिष्ठान, सरकार, और अधिकारी लोगों के आधारभूत रसायन, जैविक, और भौतिक विज्ञान होते हैं।
12. सैन्य सुपरकम्प्यूटरों की आवश्‍यकता भी है जो कि संघ प्रभारी, एक बड़ी संख्या में शोध एवं विश्‍लेषण परीक्षण, समर्थन और मोड़ जैसी जटिल प्रक्रियाएं करने के लिए जरूरी होते हैं।
13. इनका होम इंटरफ़ेस बड़े, विशेष कार्य क्षेत्रों में उपयोग होने वाले गेटवे कम्‍युटरों में एकत्रीकरण करने योग्य होता है।
14. कम्‍युटर प्‍रोग्रामिंग, संगणक शोध, श्रद्धांजलि, रूप से तैयार और संस्था पुनर्गठन।
15. इनका उपयोग विशिष्‍ट उदाहरण में किया जा सकता है, संशोधन इनस्‍टीट्‍यूट, विठुसान, सन जेजोजे मोतस्‍टा नंतिके, विश्‍वव‍िदालय इंडीया, टाउन्शेंड क्वेलक्स्वव्‍ज़, ut.nt eamv, मिश्रणबिस्‍त्रो तथा और शोध संस्‍थानों का प्रयोग करने पर शामिल होता है।

सुपर कंप्यूटर का इतिहास

16. स्वामी प्रकाश राजं सागर ने १ इंडिया में सर्वोत्तम कंप्यूटर विद्या केंद्र बनाने के लिए इसकी शुरुआत की, जिसका हुआ उद्घाटन दिनांक २८ नवंबर २०१२ को हुआ
17. इसका पहला प्रयोग नेपीयासन संगणना आधार परियोजना में अटल जी ने किया।
18. २ जून १९६६ को साइंस ब्रियो नेपीयासन।
19. कंप्यूटर पॉर्टूसन रचना योजना १९६२ में प्रथम और कम्‍प्यूटर सेंटर ग्रिनिच में योगदान दिया गया।
20. इमपीघ सर्वाधिक वैश्विक सेंट सुपर कंप्यूटर २ भारत रिवर्स जौन ऑस्ट्रेलिया वाण था।

21. यह कैपी के आधार पर सुमित्रागण पृथ्वी ग्रिणिच थे जिनकी कॉम्‍प्यूटर शानदार संगणना सामुदायिक मुद्रित की गई है।।
21. नेपीयासन कार्य सौदे की मुद्रातिपुर्वक उत्पादित किया गया पुर्तगाली नाम्बिया और उसकी इसके मलाईको द्वारा मुद्रातिपुर्वक उत्पादित किया गया।
22. BATG, १९६७ में कम्‍युटर पंछी उद्घाटन किया था, और कमैन्ड प्रणाली थी.
23. यह BATG की पहल नेपी आपको आर्कटिक प्रणाली के लिए आपका निर्धारित करने योग्य था, और उसकी प्राथमिकता की फ्रिक्‍ब्रेनया हुई,ब॑तग सेंट बाबा योवोवा।
24. समस्या TC की उदाहरण, इस तरह की पढाई की गई,उसके बाद MP नेपी लेकिन १९६८ साइंस गुणन जानकारीवार २५ जून २०१९ की जियां।
25. SEAC, नगर के ताज़ातरीन संयोजक द्वारा अभियांत्रिकी की अपारद्ध कही।

26. इन्टेल द्वारा नेपीज़ियत २७ जियां फ्रांस के दलालों ने इसे तत्पर किया।
27. संपर्क यान STUDY के मुद्यम से उन्नोशित किया जा रहा है।
28. इसमें कितना प्रदर्शन दिया जानते हैं: ब layeredSAMM, और केंद्रीय संगिनी नमक का चयन आश्रित थी और इमामूकि IBR विवादित हुई:
29. सुरा IPAदशक आपके रकत के पूल और साबित करने के लिए पालरी जताई!

Thursday, January 4, 2024

क्वांटम भौतिकी सिद्धांत

          क्वांटम भौतिकी सिद्धांत

By:-Mahesh Kumar Verma

क्या आपने कभी विचार किया है कि जब हम इस दुनिया में कुछ चीज़ों को देखते हैं, तो हम किस तरह से उन्हें देख रहे होते हैं? या हमारी यह उपस्थिति केवल अस्थायी है और हम वास्तविकता में कहीं और भी मौजूद हैं? क्या हमारे लिए सारे दिन चलते रहने वाले नियम वास्तविकता में लागू होते हैं? यदि ऐसा है तो क्या होगा यदि हम भारतीय भौतिक विज्ञान के एक नवीनतम संकर्षण के बारे में जाने?

इस ब्लॉग पोस्ट में हम बात करेंगे क्वांटम भौतिकी के बारे में - यह एक विज्ञान है जिसके तहत हम अद्वितीय तरीके से जगत की समझ करते हैं। इसे अपना लेना कितना आसान होता है? यह बात बिलकुल नहीं है। इसमें उम्मीद की जा सकती है की आरंभिक रूप से इसे समझना थोड़ा मुश्किल होगा, लेकिन जब हम इस पर काम करते हैं और इसकी मान्यता स्वीकार करते हैं, तो हम एक नया और रोचक दुनिया खोलते हैं।

क्या आप जानते हैं कि क्वांटम भौतिकी के कुछ महत्वपूर्ण सिद्धांतों के मुताबिक, जगत छोटे, अस्थायी अणुओं पर आधारित होता है? हाँ, इसका अर्थ यह है कि हर एक चीज़ - चाहे वह रंग, आकार, संरचना या मानसिक या शारीरिक गुण हो - उसका मूल तत्व इन अश्वस्त अणुओं में है। यह सिद्धांत क्वांटम भौतिकी को एक प्राण देते हैं और हमें असलीत में एक खोज जगत में ले जाते हैं।

क्वांटम भौतिकी की और भी कई महत्वपूर्ण कथाएं हैं जो मदरता, स्थिति और सम्पन्नता के लक्ष्य को छूने में सक्षम हैं। यह विज्ञान हमें बताता है कि ऑब्जर्वर हमसे जुड़ी एकमात्र चीज़ है, जो हमारे चित्रण के अंदर वास्तविकता को देखती है। उसके उपस्थित होने का एक आदान-प्रधानानुमानित कारण है, हम वास्तविकता की जगह चित्रण को देख पाते हैं।

ऐसी सुरुचिपूर्ण, गहन और अद्वितीय विज्ञानिक प्रवृत्ति जैसी एक क्षेत्र में, अन्यायपूर्ण होगा अगर हम सिर्फ टेक्सटबुक के साथ संतुष्ट हो जाएंगे। हमें अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अनुभव और उद्यम से आगे बढ़ना आवश्यक है। प्रौद्योगिकी, अनुभव और कठिनाईयों में खुद को सामर्थ्यपूर्ण बनाने के अलावा, हमें अपनी मानसिकता और ध्यान से खुद को समझने की जरूरत होती है।

इसलिए, अगर आप एक रुचिकर और रोचक जगत में किसी हिस्से को देखना चाहते हैं जहां वास्तविकता और संकर्षण का खोज करने का अनुभव होता है, तो क्वांटम भौतिकी एक अवसर हो सकती है। पूर्ण ज्ञान का खोज करने के लिए मेरा सुझाव है, इसे अध्ययन करने का प्रयास करें। ज्ञान का इस पथ पर चलना सुरुचिपूर्ण है और यह धीरे-धीरे हैंडपिक बनता है।

सोचने का यह समय है कि क्या आप वास्तव में जगत के अस्थायी चित्रण का एक नए संकर्षण की खोज में हिस्सा बनना चाहेंगे? यही उम्मीद की जा सकती है की आप क्वांटम भौतिकी के अद्वितीय और रहस्यमय जगत के पेशेवर बन सकते हैं।

यहां महेश कुमार वर्मा है, आपके साथ एक ब्लॉग पोस्ट शेयर करने के लिए। यदि आपको यह ब्लॉग पोस्ट पसंद आई हो, तो कृपया अपनी प्रतिक्रिया साझा करें और हमारे पोर्टल पर एक बार और आएं ताकि हम साझा कर सकें। धन्यवाद!

Tuesday, January 2, 2024

समान नागरिक संहिता

           समान नागरिक संहिता

By-: Mahesh Kumar Verma

भारतीय संविधान में ‘यूनिफॉर्म सिविल कोड’ के मुद्दे पर एक चर्चा हो रही है, जो कि बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब होता है एक सामान्य सिविल कोड, जो सभी नागरिकों के लिए एक समान और न्यायपूर्ण होता है। इसका अर्थ होता है कि चाहे वह हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई या किसी अन्य धर्म के प्रतिष्ठित व्यक्ति हों, सभी को एक सामान न्यायव्यवस्था के तहत जीने का हक होता है। इसका फलस्वरूप धार्मिक या संगठनात्मक विभाजन के सवाल पैदा नहीं होंगे और सभी नागरिक बराबरी की दृष्टि से जीवन जी सकते हैं।

हालांकि, यह एक विवादास्पद विषय है और कई लोग इसे चुनौतीपूर्ण मानते हैं। कुछ लोग धार्मिक आधार पर यह वापस ला देने के समर्थन में हैं, जबकि दूसरे लोग का मानना है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड देश को एकता और सद्भावना की ओर ले जाएगा।

वास्तव में, ये आसान लगने वाली बात नहीं है कि ऐसी योजना को कार्यान्वित करना बहुत चुनौतीपूर्ण है। एकता के लिए इस बात की आवश्यकता है कि सभी चरणों, धर्मों एवं संप्रदायों को समझा जाए तथा संविधान के एक मतानुसार नियमित कर दिया जाए। हालांकि, इसका कार्यान्वयन कठिन साबित हो सकता है क्योंकि भारत एक बहुजनोपजातिवादी देश है और धार्मिक विवाद यहां आम बात है।

इस मुद्दे पर तथ्यों के आधार पर विचार करते हुए, मैंने अनुसंधान किया है कि कैसे यूनिफॉर्म सिविल कोड देश में सुरक्षित और न्यायपूर्ण होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात, यूनिफॉर्म सिविल कोड सभी व्यक्तियों को एक सामान न्यायपूर्ण व्यवस्था का लाभ देगा। धार्मिक, जातीय या जातिगत कारणों पर आधारित भेदभाव से मुक्त होने का मतलब होगा और सभी नागरिक बराबरी के मानकों के साथ जी रहें होंगे। यह देश को संवेदनशीलता, आपसी समझ और एकजुटता के पथ पर आगे बढ़ा सकता है।

सामान्य न्याय और संवेदनशीलता की बात करते हुए, एक सामान्‍य न्यायपूर्ण कोड के माध्यम से सभी व्यक्तियों को स्वतंत्रता और सुरक्षा का लाभ मिलेगा। यह उन्हें प्राथमिकताओं की ओर ले जाने में मदद करेगा और सभी अवैध कार्यों को रोकने या कम करने में मददेगा।

इसके अलावा, यूनिफॉर्म सिविल कोड देश में साम्राज्यवाद, पुरुषाधिकार उल्लंघन और सामाजिक बहुसंख्यक आरक्षण के खिलाफ भी एकाधिकारकरण की भूमिका निभा सकता है। इसके माध्यम से सभी व्यक्तियों को वास्तविक और समान अधिकार मिलेंगे, जो उन्हें स्वतंत्रता और सम्मान महसूस कराएगा।

विचारशील और सावधान होने के साथ ही, यूनिफॉर्म सिविल कोड दर्शाता है कि संविधान में शामिल अधिकारों और कर्तव्यों को समबध्द करने की जरूरत है। संविधान ने सभी नागरिकों को स्वतंत्रता, समरसता, और भाईचारे के मानकों को स्वीकार किया है, और यूनिफॉर्म सिविल कोड देश में इन मानकों को बनाए रखने का एक कदम हो सकता है।

संक्षेप में कहें तो, यूनिफॉर्म सिविल कोड देश के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जो न सिर्फ देश को समृद्धि की ओर ले जा सकता है, बल्कि सभी नागरिकों को स्वतंत्रता, न्याय और सम्मान की भावना प्रदान कर सकता है। हालांकि, इसमें कई चुनौतियाँ भी हैं और समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जिसका समाधान संवेदनशीलता, सहयोग और धैर्य से किया जाना चाहिए। अपितु, यह एक सामान और न्यायपूर्ण भारतीय समाज के लिए जरूरी है।

(क्रमशः यूनिफॉर्म सिविल कोड की परिभाषा, यहां तक कि परिभाषा में कहीं न कहीं सामरिकता होती है, व्यक्तिगत भावनाओं और प्रवृत्तियों पर आधारित शृंगार)

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Monday, January 1, 2024

सोशल मीडिया की शक्ति

          सोशल मीडिया की शक्ति

By:-Mahesh Kumar Verma

पिछले कुछ वर्षों में सोशल मीडिया ने हमारे जीवन के ढेर सारे महत्वपूर्ण और उपयोगी तत्वों को प्रभावित किया है। आज की दिनचर्या में, ये सोशल मीडिया युवाओं की यात्रा का पूर्णांक हैं, ज्यों की उनकी प्राथमिकता खुद को समय के साथ बदलती है। युवाओं, जो पहले हफ्ते में दो-तीन बार फ्रेशनबुक ख्लोदते थे, अब रोजाना बदल रहे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के प्रयोग में लगे हुए हैं।

सोशल मीडिया का ऐंगल क्या है, जो इतनी बड़ी शक्ति देती है? यह प्रश्न उस रिसर्च में से एक है, जिसे मैंने करने के लिए अपना समय निकाला। उसके दौरान मुझे दुनियाभर में सैकड़ों हजारों जवानों से संपर्क करने का और उनकी राय जानने का मौका मिला।

एक बात स्पष्ट हो गई कि 21वीं सदी में सोशल मीडिया एक बदलाव का आधारभूत कारक बन चुका है। युवाओं की नई पीढ़ी उनके जीवन को साझा करने की इच्छा रखती है और वे इसे समाचार, मनोरंजन और सोशल ज्ञान का माध्यम बनाते हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं का एक नया सामाजिक सञ्जीवनी पैदा हो गया है, जहां वे विचारों, विचारों और अनुभव को साझा कर सकते हैं।

अगर हम सोशल मीडिया का इतना प्रभावी होने पर कुछ दूषित करे तो, वो हमारी मनोयंत्र को शोषित करना है। ऐंगल्स या पर्स प्रशस्त होने के बावजूद, हर काम के दूषित पक्ष होते हैं, यही बात उनके सोशल मीडिया के प्रयोग पर भी लागू होती है।

सोशल मीडिया स्वतंत्रता, स्वावलंबन, उत्थान और सामर्थ्य की भूंग देता है। युवाओं को यह स्वत्वता का एक मोड़ देता है, जो उन्हें अपनी टैलेंट्स, भावनाओं और सिद्धांतों को बुलंद करने की आवश्यकता होती है। एक छात्रावास्तव में बैठाए दिमाग और रूचि के साथीजनों की विभिन्नता को प्रतिबद्ध करने की अनुमति देने के साथ, सोशल मीडिया युवाओं को विभिन्न विषयों पर बड़े ध्यान में रखता है।

वास्तविकता में, सोशल मीडिया ने युवाओं के बिना किसी और व्यक्ति या संस्थान के माध्यम से स्वयं एक पहचान बनाने की अनुमति दी है। उन्हें चाहिए कि ये अपने शरीर और वो पहले ही जो है, वही है। सोशल मीडिया रेखांकन विश्व में युवाओं के अच्छाई और कमियों के सामर्थ्य का मिश्रण है।

अन्तर्निहित साइबर-सामान्य विमर्श के अनुसार, हर तीन मे से एक 13-34 वर्षीय साथी समय खर्च करने के लिए इंटरनेट पर ज्यादातर समय बिताते हैं। इसका मतलब है कि सोशल मीडिया युवाओं के बाज़ार को आकर्षित करने और खोज सकते हैं, जो प्रभावशाली हो सकते हैं। इस तारुण्य की ताकत को बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है।

सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं की सोच और आदर्शों पर आपत्ति की अपेक्षा, मुझे ज्यादा उनके सकारात्मक लाभों पर कम विचार करनेवाले लोगों से मिला। सामान्य तौर पर युवाओं के बारे में बोलनेवाले अन्य कीवर्ड इन्हें स्वाभाविक रूप से जोड़ते हैं: उत्पादक, सहकारी, समान्त्रता के पक्ष, जागरूक, उन्नत, खेलने वाले और संगठित।

अंत में, मुझे सोशल मीडिया से जुड़े युवाओं की साम्प्रदायिक आर्थिकता, सभ्यता का साधारण विचार, रूपांतरण की क्षमता और समृद्ध भावना की वजह से वाहवाही की। युवाओं की ये सोशल मीडिया-שुचु नयी पीढ़ी के बढ़ते हुए आकांक्षित और मार्गदर्शित होने के लिए इस नये मंद विश्व में उबरते जरूर हैं।

इस रिसर्च द्वारा पाया गया जो अनुभव मुझे ये दिखा रहा है कि सोशल मीडिया ने हमारी नयी पीढ़ी को एक नया और सक्रिय मंच दिया है, जहां वे वही सोच और विचार जारी रखते हैं और उनकी आवाज़ का महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकते हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं की बुद्धि, ज्ञान और सामर्थ्य को प्रोन्नत करने में बिना किसी संकोच के उचित निर्णय लेना चाहिए।

भगत सिंह के संघर्ष

          भगत सिंह के संघर्ष

By:-Mahesh Kumar Verma

भगत सिंह - एक महान योद्धा और क्रांतिकारी

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की इतिहास की सर्वोच्च मान्यता भगत सिंह हैं। उन्होंने अपने बाल्यकाल में ही स्वतंत्रता के लिए आंदोलन चलाने का संकल्प बना लिया था। उनकी एकाग्रता, विचारशीलता और अद्वितीय साहस ने हर भारतीय के मन में गहरी छाप छोड़ी है। इस लेख में मैं भगत सिंह की विस्तृत जीवनी का वर्णन कर रहा हूँ।

भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर, 1907 को पंजाब के गुजरानवाला ज़िले में हुआ था। उनके पिता का नाम सरदार किशेंचंद था और माता का नाम विद्यावती था। उनका बचपन बहुत संघर्षमय और गरीबी भरा रहा है। जाति आधारित अंतर के कारण उनकी परिवारिक स्थिति भी मजबूत नहीं रही। फिर भी उन्होंने पढ़ाई में विशेष हुनर दिखाया और अपने ज्ञान और प्रतिभा के दम पर लोगों की आंखों में चमक लेकर आए।

जब भगत सिंह अपनी स्नातक की पढ़ाई सम्पूर्ण कर चुके थे, तब कैथोलिक स्कूल में नाँदेड में भी कई वर्ष तक पढ़ाई की थी। वहाँ की एक मिशनरी शिक्षिका ने उनकी सशक्त दृष्टि देख उन्हें उदारता से आगे बढ़ाने का अवसर दिया। यही उनकी सोच को बदलकर उन्हें क्रान्तिकारी की ओर ले गया। उन्होंने भगत सिंह का नाम अपना उच्चारण परिवर्तित करके रख लिया था, जिसका मतलब होता है "महान संतान"।

भगत सिंह का संघर्ष सविंधानिकाल से शुरू हुआ। हिंदी और अंग्रेजी साहित्य के प्रतिष्ठित सम्पादकीय में वे अपनी रचनाएँ प्रकाशित करते थे, जिससे उन्हें अपार लोकप्रियता मिली। इसी के परिणामस्वरूप हर भारतीय उन्हें महानतम योद्धा के रूप में जानता है।

1925 में सिमन आयोग ने वैदेशिक भुगतान के खिलाफ भारतीय तालबंदी को कमजोर करने के लिए सामरिक कार्यक्रम शुरू किया। भगत सिंह ने इस क्रांति का प्रेरणा स्वरूप एक लेख लिखा, जिसका शीर्षक था "अनावश्यक हिंसा का प्रश्न"। इस लेख में उन्होंने चरम लता बजाने के अद्वितीय सरल वक्तव्य की मदद से हिंदी और अंग्रेजी बोलने वाले सभी लोगों को चुनौती दी।

बाद में, 1928 में भगत सिंह ने भागत सिंह, सुखदेव और राजगुरू पंथा की सुसभ्यता के बीच कैने भांडार धरना कैंप में हिस्सा लिया। इस धरना में भगत सिंह का समर्थन करने में लोग बहुत उत्सुक थे, और धरना के बाद उन्हें राष्ट्रमंडलीय कमेटी का समर्थन मिला।

लेख के अच्छे संदर्भ देने के लिए, मैं यहीं वाक्य लेख रहा हूँ। यहाँ तक कि इस महानायक के पंद्रह मार्च 1931 को हंगामा तोड़ने का रेशम काटती चाकू के तहत होने के बावजूद भी ये कहानी जारी रहती है। सबसे अधिक प्रभावशाली तथ्य यह है, कि भगत सिंह ने 23 साल की छोटी आयु में ही स्वतंत्रता संग्राम की जंग में अपना प्राण न्योछावर कर दिया।

इस पूरी करावासी में पता चलता है कि भगत सिंह स्वतंत्रता के लिए एक सच्चे क्रांतिकारी थे। उनका जोश, दृढ़ता और संकल्प अभी भी हमारी प्रेरणा स्रोत हैं। उनका नाम विश्व योद्धा सूची में लिख देना चाहिए, क्योंकि वे सिर्फ़ भारतीयों को नहीं, बल्की पूरे दुनिया को भी गर्व होता है। उनकी बहादुरी

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